मुफलिसी से लड़कर अपने जायके की खुशबू को सात समुंदर पार तक पहुंचाने वाले गोपाल कुशवाहा की कहानी


मुफलिसी से लड़कर अपने ज़ायके की खुशबू को सात समंदर पार तक पहुंचाने वाले ‘गोपाल कुशवाहा’ की कहानी उनकी शुरूआती जिंदगी गरीबी से दो- दो हाथ करते बीती। मुफलिसी इतनी कि त्योहारों में भी सूखी रोटी ही नसिब होती। कम कीमत पर खरीदें पुराने कपड़ों से तन ढकने का काम चलता। उस शख्स ने कुंडली मार कर बैठी गरीबी की रेखा को किस्मत की रेखा से निकाल फेंकने का प्रण किया और मन में हिम्मत भरकर स्वाद का ऐसा तड़का लगाया कि बन गए जायकों के शहंशाह। आज देश के कई शहरों में उनके रेस्तरां आउटलेट है। अब सपना अमेरिका में रेस्तरां खोलने का है। अहुना मटन के लाजवाब स्वाद से दुनिया को परिचित कराने वाले ओल्ड चंपारण मीट हाउस के संस्थापक गोपाल कुशवाहा की यह कहानी पढ़िए… गरीबी में बीता बचपन मेरी परवरिश अत्यंत ही गरीबी में हुई। हमारे परिवार को पेट भर खाना जुटाने तक के लिए संघर्ष करना पड़ता था। मैट्रिक का फॉर्म भरने के लिए मां को अपने गहने गिरवी रखने पड़े थे। पिताजी सब्जी का ठेला लगाते उसी पैसे से हमारे परिवार का गुजारा किसी तरह चलता था। बड़े भाई निरंजन कुशवाहा पिता की मदद करते और काम कर कुछ पैसे जोड़ते। बड़े भाई ने इस हालात में हम सभी को खुब हौसला देते कि वक्त जरूर बदलेगा। भाईयों में सुभाष कुशवाहा,नरेश कुशवाहा, अनिल कुशवाहा, बहन सुनीता और मुझे, बड़े भाईया निरंजन कुशवाहा ने खुब हिम्मत दी। त्योहारों में भी हमें नए कपड़े नसीब नहीं होते, फुटपाथ पर बिक रहे पुराने कपड़े खरीद कर बाबूजी हमारे लिए लाते थे। यह वाकया बताते बताते गोपाल कुशवाहा की आंखों नम हो गयी। भींगी आंखों से आगे की कहानी बयां करते हुए गोपाल कहते हैं कि परिवार में सब चाहते थे कि मैं सरकारी नौकरी में जाऊं। परिवार में कम से कम एक फिक्स आमदनी हो जाए। मेरी नौकरी रेलवे में लगी पर मेरा मन नौकरी में नहीं रमा और मैंनै नौकरी छोड़ दी। तब परिवार के लोगों ने मुझे खुब कोसा, पर मेरे मन में कुछ अलग करने की चाहत बचपन से बैचैन किए रहती। आज इसी चाहत ने मेरे जायके ‘अहुना हांडी मटन’ को देश और दुनिया का पसंदीदा ज़ायका बना दिया है। कहते हैं ओल्ड चंपारण मीट हाउस के संस्थापक गोपाल कुशवाहा। गोपाल द्वारा ईजाद किए गए अहुना हांडी मटन की खुब चर्चा है।खास से आम तक सभी को इसके लाजवाब स्वादका चटखारा इनके रेस्तरां तक खींच लाता है। गोपाल के बताए फार्मूले का प्रयोग कर अब सात समंदर पार तक अहुना मटन की खुशबू फिजा में तैरने लगी है। गोपाल कुशवाहा अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता स्वर्गीय हरिहर प्रसाद और माता स्वर्गीय राजमणि देवी से मिले संस्कार और आशीर्वाद को देते हैं। क्या है अहुना हांडी मटन दरअसल अहुना हांडी मटन बनाने की एक विशेष शैली है। इसमें मटन बनाने के लिए मिट्टी की हांडी का प्रयोग किया जाता है। गोपाल कुशवाहा बताते हैं कि वो बिहार – नेपाल बोर्डर स्थित घोड़ासहन नामक जगह से इसे लेकर आए और इसके पाक कला में थोड़ा परिवर्तन किया। हांडी को भी कुकर का रूप दिया । इसका स्वाद अन्य प्रकार से पकाएं गए मटन से काफी अलग, सौंधी खुशबू लिए होता है। यह खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है सेहत और पाचन-क्रिया में भी फीट बैठता है। इसके बनाने का फार्मुला तो गोपाल का है हीं, इसके मशाले भी वो खुद से तैयार करते हैं। मटन पकाने के लिए सरसों तेल भी बाजार से न खरीद कर खुद से ही पेराई कर तैयार कराया जाता है। गोपाल कुशवाहा कहते हैं कि इससे जायके का स्वाद और सुगंध हमेशा एक जैसा रहता है।हम मटन बनाने की प्रक्रिया में स्वच्छता और शुद्धता दोनोें का पूरा ख्याल रखते हैं। वे आगे बताते हैं कि हम चावल पकाने के लिए भी गुणवत्तापूर्ण बर्तन प्रयोग में लाते हैं। मिट्टी की हांडी हीं क्यों मिट्टी की हांडी में अहुना मटन क्यों पकाया जाता है इसके बारे में गोपाल कुशवाहा बताते हैं कि मिट्टी में 12 प्रकार के मिनरल्स पाए जाते हैं । ये मिनरल्स मटन में मिलकर इसे स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाते हैं। माटी की महक की भीनी भीनी खुशबू भी इस मटन में आप महसूस करते हैं। वो बताते हैं कि हांडी में छोटे- छोटे छिद्र भी होते हैं।इन छिद्रों से पकने के दौरान बनने वाली हानिकारक गैस बाहर निकल जाती है। ऐसे की शुरुआत गोपाल पहले अपने भाईयों के साथ अनिल डेकोरेटर और फुटवेयर के कारोबार में सहयोग करते थे। कुछ कारणों से फुटवेयर कारोबार के बंद होने के बाद वह डेकोरेटर और कैटरिंग का काम करने लगे। कैटरिंग के कारोबार के दौरान हीं एक पार्टी में काम देने की शर्त यह रखी गई कि वह वहां अहुना हांडी मटन बनवाएंगे। तब तक गोपाल कुशवाहा को हांडी मटन के बारे में विशेष जानकारी नहीं थी। उन्होंने इसकी जानकारी घोड़ासहन जा इकट्ठा की और फिर काम स्वीकार कर उस पार्टी में जा हांडी मटन की रेसिपी तैयार की। लोगों को इसका स्वाद खूब भाया और इनकी जमकर तारीफ हुई। गोपाल बताते हैं कि उसके बाद मैंने इस पर और भी प्रयोग किए और फिर शुरू किया ओल्ड चंपारण हांडी मीट हाउस। चंपारण के नाम पर अपने रेस्तरां का नाम इसलिए रखा क्योंकि इसकी मूल विधि मैंने घोड़ासहन से ली है जो चंपारण में पड़ता है साथ ही उन चंपारण दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। ऐसे में मुझे लगा कि चंपारण के नाम पर ही मुझे अपने संस्थान का नाम रखना चाहिए। देश भर में हो रहा विस्तार गोपाल कुशवाहा द्वारा संचालित ओल्ड चंपारण मीट हाउस की बिहार की राजधानी पटना में सबसे पुरानी शाखा के साथ ही देश के कई शहरों में इसका विस्तार हुआ है। दिल्ली, चंडीगढ़,बनारस, समस्तीपुर,में इनकी फ्रेंचाइजी शाखाएं मौजूद हैं। गोपाल इसे केएफसी के तर्ज पर विस्तार देना चाहते हैं। जिससे बिहार का नाम दुनिया भर में फैले और ज्यादा से ज्यादा हाथों को रोजगार मिल सके। राष्ट्रपति भवन के अधिकारी भी ले चुके हैं स्वाद गोपाल कुशवाहा के हांडी मटन के जायके का स्वाद लेने लोग दूर दूर से आते हैं। गोपाल बताते हैं कि भारत के राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों को भी यह खुब पसंद है। राष्ट्रपति भवन के चीफ मेडिकल ऑफिसर की बेटी की शादी में हमारे यहां से अहुना हांडी मटन का ऑर्डर किया गया था। सपना अमेरिका में रेस्तरां खोलने का गोपाल कुशवाहा का सपना ओल्ड चंपारण मीट हाउस के रेस्टोरेंट की शाखा अमेरिका में खोलने का है।वे इसके लिए रोड मैप बनाने में जुटे हैं। गोपाल कहते हैं ईश्वर चाहेंगे तो जल्द ही उनका यह सपना पूरा हो जाएगा। नामी कुकरी शो में शिरकत गोपाल कुशवाहा देश के कई बड़े कुकरी शो में अपने हुनर का जादू दिखा चुके हैं। इसके लिए इन्हें अब तक दर्जनों पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। साथ ही दुनिया के मशहूर शैफ ने इनके व्यंजन को सराहा हैं। कई फिल्मी हस्तियों ने गोपाल कुशवाहा को सम्मानित करते हुए उनके अहुना हांडी मटन की तारीफ की है। यूट्यूब पर लाखों प्रशंसक गोपाल कुशवाहा अपने खास व्यंजन अहुना हांडी मटन को बनाने की विधियां ऑनलाइन और ऑफलाइन भी लोगों को बताते हैं। यूट्यूब पर इनके वीडियो को लोगों का खुब प्यार मिला है। विलेज फ़ूड फैक्ट्री, मीनाक्षी कीचेन, दिल्ली फ़ूड, HHM फ़ूड दिल्ली,जायका, बिहार न्यूज़, जैसे पाक कला के लोकप्रिय चैनलों पर गोपाल कुशवाहा अपने खास जायके को बनाने का तरीका बता चुके हैं। दूरदर्शन पर प्रसारित कई एपिसोड के कुकरी शो माध्यम से भी वह इस जायके की खुशबू दुनिया भर में बिखेर चुके हैं। गोपाल कहते हैं कि ज्ञान, विज्ञान और पकवान को खुब बांटना चाहिए। उनकी कोशिशों से घर-घर में अहुना हांडी मटन बनाने की विधि गृहणियां सीख रही हैं। हर घर तक शुद्ध मसाला पहुंचाने की पहल गोपाल कुशवाहा हर घर तक शुद्ध मसाला पहुंचाने की खास पहल भी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपने BMH MAGIC MASALA की शुरुआत की है। इन मसालों को विशेष तौर पर तैयार किया गया है। गोपाल बताते हैं कि इन मसालों में देशी फार्मुले का प्रयोग किया गया है। इसके प्रयोग से जहां मटन का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है वही है हाथों में तेल की चिपचिपाहट भी नहीं लगाती। यह सेहत के लिए नुकसानदायक भी नहीं है। फिलहाल वो फ्लिपकार्ट, इंडिया मार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर अपने मसाले उपलब्ध करवा रहे हैं। मशहूर क्रिकेटर इरफान पठान भी इनका मसाला प्रयोग कर चुके हैं। उन्होंने IPLमें इसकी चर्चा भी की थी। स्नातक तक पढ़ाई गोपाल कुशवाहा ने बीए तक की पढ़ाई की है। इतिहास विषय में उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। वहीं उनके स्कूल की पढ़ाई द्वारिका हाईस्कूल मंदिरी से हुई। दोस्त बुलाते हैं रैंचो गोपाल कुशवाहा जायकों शहंशाह तो है ही वो नई -नई मशीन बनाने का प्रयोग भी करते रहते हैं। उन्होंने हांडी मटन और मटन स्टू बनाने की मशीन भी खुद से तैयार की है। वह ग्रृहणियों के लिए वैसी मशीन तैयार करने में लगे हैं जिसमें खाना बनाते वक्त उसे चलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गोपाल कुशवाहा के अभिनव प्रयोगों के कारण उन्हें उनके दोस्त “रेंचो” बुलाते हैं। गोपाल कुशवाह अपने इनोवेशन को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार की सहायता चाहते हैं। वे कहते हैं कि सरकार अगर सहायता करें तो वह कई तरह की और भी मशीनें बना सकते हैं जिससे लोगों का जीवन स्तर काफी आसान हो जाएगा। परिवार के सभी सदस्यों का मिलता है साथ गोपाल आगे बताते हैं कि जीवन के इस सफर तक पहुंचने में उन्हें कई कठिन राहों से गुजरना पड़ा। ऐसे में परिवार के सदस्यों ने मनोबल को बढ़ाएं रखा। पत्नी बिन्दु कुशवाहा ने बुरे दिनों में खूब हौसला दिया। वह अब मसालों का कारोबार देखती हैं, बच्चे अरब और अभिनव अभी नन्हें हैं फिर भी ऑनलाइन कारोबार कि कई बारीकियां सिखा जाते हैं। गोपाल भाईयों में सबसे छोटे हैं वे कहते हैं कि बचपन से अब तक भाईयों का प्यार खुले रूप से मिलता रहा है। फिलहाल गोपाल कुशवाहा अपने अहुना हांडी मटन की भीनी खुशबू दुनिया भर में फैलाने में जुटे हैं। इसके साथ ही वो रसोई के काम आने वाली नई नई मशीनों का ईजाद भी कर रहे हैं। गोपाल कुशवाहा की कहानी यह सिखा रही है कि शिद्दत से की गई कोशिशें नाकाम नहीं होती। गोपाल ने जहां खुद को गरीबी से उबारा, वही इनके द्वारा इजाद किए गए जायके से रोजगार के नए द्वार भी खुल रहे हैं और मिल रहा है सैकड़ों लोगों को काम। अहुना हांडी मटन पर और ज्यादा जानकारी के लिए आप गोपाल कुशवाहा से फोन नंबर +919334555506 पर संपर्क कर सकते हैं। (पाठकों से निवेदन: हमारी कोशिश समाज की सकारात्मक कहानियां को आप तक पहुंचाने की है। यह कहानी कैसी लगी कमेंट कर जरूर बताएं । आप 7488413830 पर गुगल पे कर हमारी आर्थिक मदद भी कर सकते हैं)


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