सरकार ने नए संसद भवन में पहले दिन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला संवैधानिक संशोधन बिल पेश किया, जो 27 वर्षों से लंबित था।
महिला आरक्षण विधेयक, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा निचले सदन में पेश किया गया। यह नए संसद भवन में पेश किया जाने वाला पहला विधेयक था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 19 सितंबर एक ऐसी तारीख है जो इतिहास में दर्ज की जाएगी और भगवान ने उन्हें "महान कार्य" के लिए चुना है। प्रधानमंत्री ने नए सत्र के पहले भाषण में कहा, "नारीशक्ति वंदन अधिनियम हमारे लोकतंत्र को और मजबूत करेगा... मैं देश की सभी माताओं, बहनों और बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्यों की मेज थपथपाहट के बीच परिसर। मोदी ने जोर देकर कहा कि सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक महिलाएं देश की विकास प्रक्रिया में शामिल हों।महिला आरक्षण पर संसद में पहले भी कई प्रयास हो चुके हैं। 1996 में इससे जुड़ा पहला बिल पेश किया गया था। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक लाया गया लेकिन इसके लिए संख्या नहीं जुटाई जा सकी और सपना अधूरा रह गया।गौरतलब है कि यह कानून परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू होगा इसलिए 2024 में अगले लोकसभा चुनाव के दौरान इसके लागू होने की संभावना नहीं है।
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